लेखनी प्रतियोगिता -26-Mar-2023 फौजन का बलिदान
शमा की खून की और बाकी जांच की रिपोर्ट देखकर डॉक्टर कहता है कि 'आप अपने पति को अपने साथ लेकर आएं मुझे आपकी बीमारी के विषय मैं पहले उनसे कुछ चर्चा करनी पड़ेगी।"
शमा बहुत समझदार और सुलझी हुई महिला थी, इसलिए वह डॉक्टर की बातों से समझ जाती है कि उसे कोई बड़ी बीमारी हुई है, इसलिए वह डॉक्टर से कहती है कि "मेरे पति फौजी है, और इस समय वह सरहद की रक्षा कर रहे हैं। घर पर वृद्ध सास-ससुर और मेरी सात साल की बेटी है। इसलिए मुझे कोई भी बड़ी से बड़ी बीमारी हो तो भी आप मुझे बता दें, मुझ में बड़े से बड़ा दुख बर्दाश्त करने की बहुत हिम्मत है, क्योंकि मैं एक फौजी की फौजन हूं।"
डॉक्टर साहब शमा की हिम्मत से प्रभावित होकर शमा को बताते हैं कि "आप को कैंसर है और इस समय आपकी बीमारी लास्ट स्टेज पर है।"
शमा अपनी कैंसर की बीमारी की सुनने के बाद कुछ देर चुपचाप शांत बैठी रहती है। और कुछ सोच समझकर फिर कहती है कि 'डॉक्टर साहब में कितने दिन तक जिंदा रहूंगी।" डॉक्टर शमा से कहता है कि 'अगर आज से ही ईलाज शुरू हो जाए तो छ महीने आपको कोई तकलीफ नहीं होगी।"
जिस समय शमा डॉक्टर से बात कर रही थी तो उसी समय उसके फौजी पति फिरोज का फोन आ जाता है। फिरोज फोन पर शमा को खुशी से यह खुशखबरी देता है कि वह दो महीने की फौज से छुट्टी लेकर घर आ रहा है।
शमा अपने मन में सोचती है कि चलो जीवन के आखिरी दिनों मे दो महीने तो कम से कम अपने शौहर के साथ जीने के लिए तो मिल ही जाएंगे।
और शमा अपनी बीमारी का राज अपने मन में दफन कर लेती है। लेकिन फिरोज जब दो महीने की छुट्टी लेकर घर आता है तो शमा की बहुत अधिक बीमार जैसी हालत देखकर फिरोज की घर आने की खुशी थोड़ी कम हो जाती है, और उसे शमा कि बहुत चिंता होने लगती होती है।
फिरोज और शमा दोनो बचपन के दोस्त थे। दोनों की दोस्ती और मोहब्बत के किस्से पूरे गांव में मशहूर थे। एक ऐसा ही किस्सा था, जब शमा और फिरोज एक ही विद्यालय में पढ़ते थे, तो विद्यालय की सीढ़ियों से पैर फिसलने से शमा का हाथ टूट गया था, तो फिरोज ने भी उन्हीं सीढ़ियों से गिरकर अपना हाथ तोड़ लिया था।
एक रात फिरोज की आंख खुलती है तो शमा बाथरूम में खून की उल्टियां कर रही थी, और उसे तेज बुखार भी था। यह सब देखकर फिरोज बहुत घबरा जाता है, और शमा से कहता है कि "'कल सुबह किसी भी हालत में मेरे साथ डॉक्टर के पास चलना।" शमा कहती है कि "मैंने डॉक्टर से चेकअप करवाया था, डॉ ने मुझे बताया है कि गले में बस थोड़ा सा इंफेक्शन है, और इस वजह से कभी-कभी बुखार भी आ जाता है।"
दूसरे दिन सुबह फिरोज शमा को जबरदस्ती डॉक्टर के पास लेकर जाता है तो डॉक्टर शमा के मना करने के बावजूद फिरोज को शमा की बीमारी की सच्चाई बता देता है कि शमा को कैंसर है, वह भी लास्ट स्टेज पर।
यह खबर सुनने के बाद डॉक्टर के सामने ही फिरोज की आंखों से आंसू बहने लगते हैं। उसी समय चारों तरफ चर्चा होने लगती है कि पड़ोसी देश ने हमारे देश भारत पर हमला कर दिया है।
और यह खबर सुनने के बाद शमा को ऐसा लगता है जैसे अपने शौहर के साथ जीवन के अंतिम दिन जीने की ख्वाहिश उसकी अब अधूरी रह जाएगी है।
लेकिन जब फिरोज इस दुविधा में फंस जाता है कि पत्नी को जीवन के अंतिम दिनो में अकेला छोड़ कर देश की रक्षा करने कैसे जाऊं। तो शमा यह बात कह कर फिरोज की दुविधा का हल कर देती है कि "मैं यह दुख लेकर अपनी प्यारी दुनिया को छोड़कर नहीं जाना चाहती हूं, कि लोग मेरे शौहर से कहें कि जब देश को उसकी जरूरत थी, तो बुजदिल फिरोज अपनी पत्नी के पल्लू में छुप कर बैठ गया था।"
और दूसरे दिन रोज सहरद की रक्षा करने चला जाता है।
पति के बिना शमा को मौत और भयानक लगती है, लेकिन उसके चेहरे पर यह संतुष्टि थी कि उसने फौजी की फौजन होने का फर्ज पूरा किया है।
प्रिशा
03-Apr-2023 09:46 AM
Nice
Reply
Seema Priyadarshini sahay
27-Mar-2023 09:53 AM
सुंदर
Reply
Abhinav ji
27-Mar-2023 08:08 AM
Very nice 👌
Reply